बिश्नोई समाज के 29 नियम

बिश्नोई समाज के 29 नियम (29 Rules of  Bishnoi in Hindi)

जाम्भोजी महाराज द्वारा बताये 29 नियमों का पालन करने वाला बिश्नोई है। सम्वत् 1542 की कार्तिक बदी 8 को जांभोजी महाराज ने एक विराट यज्ञ (हवन) का आयोजन सम्भराथल धोरे पर किया और 29 नियमों (Jambhoji ke 29 niyam) की दीक्षा एवं पाहल देकर बिश्नोई धर्म की स्थापना की। 29 नियम इस प्रकार हैं -
  1. तीस दिन सूतक रखना ।
  2. पांच दिन ऋतुवन्ती स्त्री का गृहकार्य से पृथक रहना ।
  3. प्रतिदिन सवेरे स्नान करना ।
  4. शील का पालन करना व संतोष रखना ।
  5. बाह्य और आन्तरिक पवित्रता रखना ।
  6. द्विकाल संध्या - उपासना करना ।
  7. संध्या समय आरती और हरिगुण गाना ।
  8. निष्ठा और प्रेमपूर्वक हवन करना ।
  9. पानी,ईंधन और दूध को छान कर प्रयोग में लेना ।
  10. वाणी विचार कर बोलना ।
  11. क्षमा - दया धारण करना ।
  12. चोरी नहीं करनी ।
  13. निन्दा नहीं करनी ।
  14. झूठनहीं बोलना ।
  15. वाद - विवाद का त्याग करना ।
  16. अमावस्या का व्रत रखना ।
  17. विष्णुका भजन करना ।
  18. जीव दया पालणी ।
  19. हरा वृक्ष नहीं काटना ।
  20. काम , क्रोध आदि अजरों को वश में करना ।
  21. रसोई अपने हाथ से बनानी ।
  22. थाट अमर रखना ।
  23. बैल बधिया नहीं कराना ।
  24. अमल नहीं खाना ।
  25. तम्बाकूका सेवन नहीं करना ।
  26. भांग नहीं पीना ।
  27. मद्यपान नहीं करना ।
  28. मांस नहीं खाना ।
  29. नीला वस्त्र व नील का त्याग करना।

बिश्नोई 29 नियम (Bishnoi 29 Rules)  पद्य रूपः 

बिश्नोई धर्म के प्रसिद्ध कवि ऊदोजी नैण ने बिश्नोई 29 नियमों को पद्य रूप में निम्न प्रकार प्रस्तुत किया हैं- 

तीस दिन सूतक, पांच ऋतुवन्ती न्यारो ।

सेरा करो स्नान, शील, सन्तोष शुची प्यारो ।।

द्विकाल संध्या करो, सांझ आरती गुण गावो ।

होम हित चित प्रीत सूं होय, वास बैकुंठे पावो ।।

पाणी, बांणी, ईन्धणी दूध इतना लीजै छाण ।

क्षमा दया हिरदै धरो, गुरु बतायो जाण ।।

चोरी, निन्दा, झूठ बरजियों, वाद न करणो कोय ।

अमावस्या व्रत राखणो, भजन विष्णु बतायो जोय ।।

जीव दया पालणी, रूंख लीला नहिं घावै ।

अजर जरैं, जीवत मरै, वे वास बैकुण्ठा पावै ।।

करें रसोई हाथ सूं, आन सूं पला न लावै ।

अमर रखावै थाट, बैल बधिया न करावें ।।

अमल, तमाखू, भांग, मद-मांस सूं दूर ही भागे ।

लील न लावै अंग, देखत दूर ही त्याग ।।

"उन्नतीस धर्म की आखड़ी, हिरदै धरियो जोय।

जाम्भोजी किरपा करी, नाम बिश्नोई होय॥"

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